Property Tax: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 का बजट पेश करते हुए प्रॉपर्टी टैक्स में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। सबसे बड़ा बदलाव लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स की दर में किया गया है, जिसे 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिया गया है। साथ ही, प्रॉपर्टी और सोने पर मिलने वाले इंडेक्सेशन के लाभ को भी समाप्त कर दिया गया है।
इंडेक्सेशन लाभ की समाप्ति का प्रभाव
पहले की व्यवस्था में, प्रॉपर्टी या सोने की बिक्री पर महंगाई के प्रभाव को इंडेक्सेशन के माध्यम से समायोजित किया जाता था और फिर 20% की दर से टैक्स लगाया जाता था। नई व्यवस्था में इंडेक्सेशन का लाभ पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है और सीधे 12.5% की दर से टैक्स लगाया जाएगा। यह बदलाव निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
पुरानी संपत्तियों के लिए विशेष प्रावधान
1 अप्रैल 2001 से पहले खरीदी गई संपत्तियों के लिए एक विशेष प्रावधान किया गया है। इन संपत्तियों की वास्तविक लागत का निर्धारण उस समय के उचित बाजार मूल्य के आधार पर किया जाएगा। यह महत्वपूर्ण है कि 2001 के बाद खरीदी गई संपत्तियों पर यह सुविधा उपलब्ध नहीं होगी।
नई गणना पद्धति का उदाहरण
आयकर विभाग ने नई गणना पद्धति को समझाने के लिए एक स्पष्ट उदाहरण दिया है। यदि कोई व्यक्ति 1990 में ₹5,00,000 में संपत्ति खरीदता है, और 1 अप्रैल 2001 को इसकी स्टांप ड्यूटी कीमत ₹10 लाख तथा फेयर मार्केट वैल्यू ₹12 लाख थी, तो 2024 में ₹1 करोड़ में बिक्री पर टैक्स की गणना नई दर 12.5% से की जाएगी।
निवेशकों पर प्रभाव
इन परिवर्तनों का सबसे अधिक प्रभाव रियल एस्टेट और सोने में निवेश करने वाले लोगों पर पड़ेगा। इंडेक्सेशन लाभ की समाप्ति से महंगाई समायोजन का लाभ नहीं मिलेगा, जिससे कुल टैक्स देनदारी में वृद्धि हो सकती है। हालांकि, टैक्स की दर कम होने से कुछ मामलों में राहत भी मिल सकती है।
सरकार का दृष्टिकोण
सरकार का मानना है कि ये बदलाव कर व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और सरल बनाएंगे। इससे टैक्स संग्रह में वृद्धि होगी और कर चोरी पर अंकुश लगेगा। साथ ही, एक समान दर से टैक्स लगने से प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
भविष्य की चुनौतियां और अवसर
नई व्यवस्था में निवेशकों को अपनी निवेश रणनीतियों में बदलाव करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबी अवधि के निवेश में अब और अधिक सावधानी बरतनी होगी। साथ ही, वैकल्पिक निवेश विकल्पों पर भी विचार करना होगा।
प्रॉपर्टी टैक्स में किए गए ये बदलाव
निश्चित रूप से कर व्यवस्था को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। हालांकि, इनका प्रभाव निवेशकों पर पड़ेगा और उन्हें नई परिस्थितियों के अनुसार अपनी निवेश योजनाओं में बदलाव करना होगा। यह महत्वपूर्ण है कि निवेशक इन बदलावों को समझें और उनके अनुसार अपनी रणनीतियां बनाएं।
निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें और नए नियमों के अनुरूप अपनी निवेश योजनाओं की समीक्षा करें। साथ ही, भविष्य में किए जाने वाले निवेशों में इन बदलावों को ध्यान में रखें और उचित कर योजना बनाएं। यह परिवर्तन एक नए युग की शुरुआत है, जिसमें पारदर्शिता और सरलीकरण पर जोर दिया गया है।